उत्तराखण्ड राज्य किसान आयोग
विधायी एवं संसदीय कार्य विभाग, उत्तराखण्ड शासन के शासनादेश संख्या-355 दिनांक-30 नवम्बर, 2016 के द्वारा उत्तराखण्ड राज्य किसान आयोग विधेयक, 2016 पारित किया गया है। उत्तराखण्ड राज्य किसान आयोग के अन्तर्गत एक पद अध्यक्ष, दो पद उपाध्यक्ष एवं सात पदों पर सदस्य दो वर्ष के कार्यकाल हेतु नामित किये जाने का प्राविधान है, उक्त के अतिरिक्त पंडित गोविन्द बल्लभ पंत, कृषि एवं प्रौघोगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, के कुलपति सदस्य, कृषि निदेशक उत्तराखण्ड सदस्य सचिव एवं निदेशक बागवानी सदस्य होगें।
उत्तराखण्ड राज्य किसान आयोग के कृत्य निम्नानुसार निर्धारित किये गये है-
1. उत्तराखण्ड की कृषि के वर्तमान स्तर पर समय-समय पर समीक्षा करना, विभिन्न कृषि जलवायु, पर्वतीय उपखण्डों की परिस्थितियों में विभिन्न श्रेणी के कृषकों की क्षमताओं एवं कमजोरियों को वरियता देते हुये उत्तराखण्ड में सतत् एवं समान विकास के लिए वृह्त रणनीति तैयार करना।
2. उन कारणों का विश्लेषण करना, जिससे किसानों की खेती में आय में कमी आयी है तथा कृषकों की आय में वृद्धि के लिए बाजारोन्मुखी फसल विविधिकरण, उन्नत बाजार व्यवस्था, सरल एवं नियमित मूल्य सम्वर्धन तथा कृषि प्रसंस्करण आदि के माध्यम से कृषकों की आय में वृद्धि करने के लिए तरीके सुझाना,
3. राज्य के प्रमुख खेती प्रणाली की उत्पादकता, लाभ, स्थिरता को बढ़ाने के लिए, कृषि पारिस्थितिकी एवं कृषि जलवायु, पहुंच एवं प्रौद्योगिकी को ध्यान मे रखते हुए तरीके सुझाना,
4. एक व्यवहारिक एवं संगत फसल (उद्यान विभाग को सम्मिलित करते हुए) पशुपालन-मत्स्य को एकीकृत करने हेतु सुझाव देना,
5. यवहारिक एवं संगत फसल (उद्यान विभाग को सम्मिलित करते हुए) पशुपालन-मत्स्य को एकीकृत करते हुए कृषि प्रणाली सुझाना तथा कृषि एवं सम्वर्गीय विभागों के मध्य तालमेल बढ़ाना,
6. तकनीकी एवं लोकनीति के मध्य ताल-मेल बढ़ाते हुये गा्रमीण क्षेत्रों में आय वृद्धि एवं रोजगार के अवसर बढ़ानें के लिए विविधिकरण सतीय तकनीकी (आई0टी0 समेत) के माध्यम से तरीके सुझाना, जिससे कि विपणन, मौसम, वित्त पोषण तथा ऑनलाईन व्यापार, प्रशिक्षण एवं बाजार सुधार किया जा सकें,
7. वर्तमान में कृषि आगातों की उपयोग क्षमता का परीक्षण करना, बीज, उर्वरक तथा कृषि रक्षा रसायन को अनुदान पर वितरण हेतु प्रणाली की कार्य क्षमता का निर्धारण व उसमें सुधार करना,
8. कृषि में जल के प्रयोग की वर्तमान स्तर की समीक्षा करना एवं समान प्रयोग के लिए संस्तुतियां देना तथा कृषि उत्पादकता में वृद्धि हेतु भूमि एवं सतही जल का सत्त प्रयोग करना एवं वर्षा जल संरक्षण के उपाय सुझाना,
9. स्थानीय एवं परम्परागत फसलों को महत्व की दृष्टि से प्रोत्साहित करने हेतु सुझाव देना
10. कृषि उत्पाद की गुणवत्ता एवं दरों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने हेतु सुझाव देना जिससे कि उन्हें वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धा में बनाया जा सके,
11. कृषि नीति में वृह्द सुधार सुझाना, जिससे कृषि अनुसंधान में निवेश को बढ़ावा मिले, ग्रामीण ऋण को बढ़ावा देना, जिससे लघु एवं सीमान्त किसानों को लाभ मिल सके, आर्थिक उन्नति ऐसी हो जो कृषि की उन्नति से सम्बद्ध हो, जिससे ग्रामीण परिवारों को उन्नत उत्पादक एवं स्वस्थ जीवन मिले,
12. कृषि के क्षेत्र में पढ़े-लिखे युवाओं को जोड़ना तथा उनको रोके-रखना, इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु तकनीकी के तरीके सुझाना,
13. अन्य संबंधित बिन्दु जो सरकार द्वारा आयोग को सुझाया गया हो
14. निजीजन सहभागिता को कृषि में बढ़ावा देना।